यम द्वितीया के बारे में मैंने केवल सुना था पर इसके महत्व को कभी नही जाना। यम द्वितीया को मेरा परिवार मथुरा गया वह मेरी साँस और उनके भाई यानि की मामा जी आए और दोनों ने जमुना के तट पर दिया जलाया और दीपदान भी करा वहाँ पर हमें पंडित जी ने यम द्वितीया के महत्व को बताया तो जान कर काफी आश्चर्य हुआ और अच्छा भी लगा। पांच दिवसीय दीपोत्सव के अंतिम दिन यानि यम द्वितीया को जो भी भाई बहन यमुना में स्नान करते हैं , उन्हें यम फांस से मुक्ति मिलती है। वहीं इस दिन बहिनें भाइयों के उन्नत मस्तक पर टीका कर उनकी लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। ये है कहानी एक बार सूर्य की पुत्री यमुना शापित होकर नदी के रूप में अपने उद्गम स्थल हिमालय से प्रवाहित होती हुई विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करते हुए मथुरा पहुंची। काफी भ्रमण करने के बाद यमुना ने घाट पर विश्राम किया। यमुना के बड़े भाई यानी की सूर्य पुत्र यमराज अपनी छोटी बहन से मिलने उनके पा