आज सुबह मेरी सासु माँ का
फ़ोन आया बोला की बहु आज की रात तुम लोग चाँद को मत देखना नहीं तो तुम लोगों पर झूठे कलंक लगेंगे। ऐसा सुनकर में हैरान रह गई आखिर
ऐसा कैसे हो सकता है कि चाँद देखने से भला किसी को झूठे कलंक लगे। फिर मैंने अपनी सासु माँ से चाँद न देखने का कारण
पूछा तब उन्होंने मुझे श्री गणेश जी की कथा सुनाई जिसे सुनकर में सच में हैरान रह गई। इसलिए यह कथा में आपलोगो से भी साझा करना चाहती
हूँ।
एक बार श्री गणेश जी चूहे
की सवारी कर रहे थे और अचानक से गिर पड़े तभी वहां उपस्थित चन्द्रमा उन पर हंस पड़े यह
देख कर श्री गणेश जी को क्रोध आया और उन्होंने चन्द्रमा को श्राप दिया की अब से तुम किसी के देखने योग्य नहीं रह जाओगे
और अगर तुमको कोई देख लेगा तो वो भी पाप का भागीदारी होगा। ऐसा श्राप देकर श्री गणेश
जी वहा से चले गए।
अब सभी देवी देवता श्री गणेश
जी के श्राप से व्याकुल हो गए। अब चन्द्रमा के न रहने से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ जायेगा ऐसा सोच सभी देवी - देवता ने श्री गणेश जी
की आराधना शुरू कर दी और ऐसा करने से श्री गणेश जी बहुत प्रसन हुए। अब सभी देवताओं
ने मिलकर चन्द्रमा पर लगे श्राप को मुक्त करने का निवारण पूछा तो श्री गणेश जी ने कहा
कि में श्राप मुक्त नहीं कर सकता पर हां इसे
कम जरूर कर सकता हु।
यदि आप गलती से आज के दिन
चाँद देख ले तो इस कथा को सुन कर दोष मुक्त हो सकते है।
एक बार श्री कृष्ण भगवान गणेश चतुर्थी के दिन चाँद देख लेते है और उनपर भी झूठा कलंक लग जाता है
एक बार श्री कृष्ण भगवान
सभा में विराजमान थे और तभी वहां एक राजा उपस्थित होते है जिनके गले में एक मणि थी
जिसकी चमक से पूरी सभा प्रकाश से उज्वल हो रही थी। ऐसी उज्वलता को देखकर वहां उपस्थित सभी सभागण ऐसा
सोचने लगे कि यदि यह मणि श्री कृष्ण भगवान के मुकुट में हो तो कितना अच्छा होगा।
एक बार जब वह राजा शिकार
करने जंगल में जाते है तो उन्हें एक शेर मार कर उनका मणि ले लेता है और वहाँ से चले
जाता है , इधर श्री कृष्ण भगवान पर यह कलंक लग जाता है कि उस राजा का मणि इन्होने ही चुराया है। श्री कृष्ण भगवान अपने ऊपर लगे इस कलंक को मिटाने के लिए उस मणि को
ढूंढने निकल पड़ते है। अब वह मणि शेर के पास
न होकर एक रिक्ष के पास होती है ( उस मणि को लेने के लिए भालू और शेर में युद्ध होता
है और भालू शेर को मार कर उससे मणि ले लेता है )
अब श्री कृष्ण भगवान का युद्ध भालू से होता है यह युद्ध इतना भयंकर होता
है कि समाप्त ही नहीं होता है। वह भालू वास्तव
में जामनत जी होते है जिन्हे कोई नहीं हरा सकता था सिर्फ राम जी के अलावा अतः इस युद्ध
से जामनत जी को एहसास हो जाता है कि ये कोई साधारण मनुष्य नहीं , इसलिए वह उनसे उनके
असली रूप में आने की प्राथना करते है और जब श्री कृष्ण भगवान अपने असली रूप में आते
है तो वह नारायण स्वरुप को देख कर वह मणि उन्हें दे देते है।
श्री कृष्ण भगवान वापस आ
कर सारा वृतांत बताते है और अपने ऊपर लगे कलंक को दूर करते है।
इस तरह से साल में एक दिन
ऐसा होता है जब चाँद को देखना शुभ नहीं माना जाता है।
गांव में लोग जब गलती से
आज के दिन चाँद देख लेते है तो इस के निवारण
हेतु किसी दूसरे मनुष्य पर छोटा सा पत्थर मारते
है ताकि वो आपको गाली दे और आप दोष मुक्त हो जाये और आपका दोष उसे लग जाए।
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